Popa Bai Ki Katha – किसी गाँव में एक भाई-बहन रहते थे। भाई की शादी हो गई थी लेकिन उसकी बहन की की शादी नहीं हुई थी। बहन का नाम पोपा बाई था। पोपा बाई हमेशा व्रत और नियम करती थी। एक दिन उसके भाई-भाभी ने उससे शादी के लिये कहा, तब उसने शादी के लिये मना कर दिया। उसने अपनी भाई-भाभी से कहा मेरे रहने के लिये गाँव के बाहर एक झोपड़ी बनवा दो, मैं उसी में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर लूँगी।
गाँव के सभी लोगों से कहा – “हे गाँववालो! आप लोग अपने-अपने गाय-बछड़े को मेरे झोपड़े के पास घास चरने के लिये छोड़ दिया करो। मैं सभी के गाय-बछड़ों की देखभाल किया करूँगी। जो भी बचा-खुचा खाना हो वह भेज देना। मैं वही खा कर रह लूँगी।” इसी तरह बहुत दिन बीत गए। एक दिन उस देश का राजा शिकार खेलने जंगल को जा रहा था कि उसकी नजर गाँव के बाहर बने पोपा बाई के झोपड़े पर पड़ी।
राजा झोपड़े के पास जाकर आवाज लगाने लगा – “यहाँ कौन रहता है?” जब कोई भी उत्तर नहीं मिला तो। झोपड़े के दरवाजे को खटखटाने लगा। खटखटाने की आवाज सुनकर पोपा बाई ने अंदर से ही पूछा- “बाहर कौन है? बार-बार दरवाजा क्यूँ खटखटा रहे हो? क्या काम है?” तब राजा ने उत्तर दिया- “मैं इस देश का राजा हूँ। मैं तुम्हारे साथ विवाह करना चाहता हूँ।” पोपा बाई ने कहा- “अपने महल को लौट जाओ। मैं पराये पुरुष का मुँह नहीं देखती।”
लेकिन राजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और बलपूर्वक पोपा बाई को उठा, अपने घोड़े पर बैठाकर महल की ओर चल पड़ा। पोपा बाई ने राजा को श्राप दिया- “हे राजा! तेरा राज-पाट सब नष्ट हो जायेगा।” महल में पहुँचकर राजा ने अपनी रानियों से सारी बात बताई। पूरी बात सुनकर रानियों ने राजा से अनुरोध किया कि पोपा बाई को सही सलामत उसकी झोपड़ी में छोड़ आये। रानियों के कहे अनुसार राजा पोपा बाई को उसकी झोपड़ी पर छोड़ने चल पड़ा।
रास्ते में पाप की नदी आई जिसमें राजा डूब गया। पोपा बाई मृत्यु के बाद धर्मराज के दरबार में पहुँची। वहाँ धर्मराज ने उसे स्वर्ग का राज दिया। किसी गाँव के एक सेठ-सेठानी की मृत्यु हुई। वे दोनों मृत्यु लोक से स्वर्ग लोक को आये। लेकिन स्वर्ग का दरवाजा बंद पड़ा था। उन दोनों ने धर्मराजजी से स्वर्ग का द्वार खोलने के लिये विनती की, तब धर्मराज ने कहा इस पर पोपा बाई का राज है।
सेठ-सेठानी ने कहा – “हम पोपाबाई को नहीं जानते।” तब धर्मराज ने कहा कि मैं तुम दोनों को सात दिन के लिए मृत्युलोक में भेजता हूँ। वहाँ जाकर आठ खोपरा से राई भरकर ,पाँच कपड़ा ऊपर रखकर कहानी सुनना और उद्यापन करना और इस प्रकार कहना:- राज है पोपा बाई का, लेखा लेगी राई राई का। बोलो पोपा बाई की जय।
H2 – FAQs About Popa Bai Ki Katha
Q1. पोपा बाई की पोल नामक पुस्तक किसने लिखी?
श्री जय नारायण व्यास