Aasmai Ki Katha aur Pooja Vidhi | आसमाई की व्रत कथा व पूजा विधि

Aasmai Ki Katha – वैशाख, आषाढ तथा माघ के महीने में किसी रविवार के दिन आसमाई की पूजा और व्रत रखा जाता है। जो इस व्रत का पालन करता है। उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है और व्यक्ति की सभी आशा पूरी होती है। आए जानते है आसमाई व्रत की विधि, कथा और इसके महत्व के बारे में। 

आसमाई व्रत पूजा विधि | Aasmai Vrat Pooja Vidhi

इस व्रत के दिन महिलाएँ  पान के पत्ते पर गोपी चंदन अथवा श्रीखंड चंदन से पुतली बनाती है। इस पर चार कड़ियां स्थापित करती हैं। महिलाएँ सुन्दर अल्पना बनाकर उस पर कलश बैठाती हैं। इस व्रत का पालन करने वाल महिलाएँ गोटियों वाला मांगलिक सूत्र पहन कर आस माई को भोग लगाती हैं तथा अन्य महिलाओं को भेट भी करती हैं। इस व्रत में व्रती मीठा भोजन करती है। 

आसमाई की व्रत कथा | Aasmai Ki Katha

एक राजकुमार था जो माता पिता के लाड़ प्यार के कारण बहुत अधिक शरारती हो गया था। वह नगर की कन्याओं की मटकी को गुलेल से फोड़ देता था। नगरवासियों की शिकायत सुनकर एक दिन राजा को बहुत क्रोध आया और उन्होंने राजकुमार को देश निकाला दे दिया। राजकुमार अपने घोड़े पर सवार होकर चला जा रहा था। जब एक वन में पहुँचा तो उसने देखा कि तीन वृद्ध महिलाएँ अपने अपने हाथों में गगड़ी लिये चली आ रही है। 

जब राजकुमार उन वृद्ध महिलाओं के समीप पहुँचा। तब उसके हाथ से चाबुक छूट गयी और नीचे गिर पड़ी। कुमार उस चाबुक को उठाने के लिए झुका तो महिलओं को लगा कि राजकुमार उन्हें प्रणाम कर रहा है। इस पर उन्होंने पूछा कि तुम हम तीनों में किसे प्रणाम कर रहे हो। राजकुमार ने तब तीसरी महिला की ओर संकेत किया। वह महिला देवी आशा माई थी। 

आशा माई राजकुमार पर प्रसन्न हुई और बोली ये तीन अनमोल रत्न तुम सदा अपने पास रखना, जब तक यह रत्न तुम्हारे पास है तुम्हें कोई पराजित नहीं कर सकता। आशा माई से विदा लेकर राजकुमार एक नगर में पहुँचा जहाँ का राजा चसर खेलने में बहुत ही निपुण था। राजकुमार ने उस राजा को पराजित करके उसका सारा राजपाट जीत लिया। पराजित राजा ने राजकुमार की कुशलता को देखते हुए उससे अपनी पुत्री की शादी कर दी। 

कुछ दिनों के बाद राजकुमार अपनी पत्नी की इच्छा को देखते हुए अपने पिता और माता से मिलने चल दिया। वहाँ उसके माता पिता पुत्र के विक्षोह से दुखी होकर अंधे हो गये थे। आशा माई के कृपा से वे भी ठीक हो गए और परिवार की खुशहाली एवं सुख शांति लौट आयी। यही है आशापूर्णी आस माई की कथा। 

आसमाई व्रत का महत्व । Aasmai Vrat Ka Mahatva

वैशाख, आषाढ, तथा माघ के महीने में किसी रविवार के दिन आसमाई की पूजा और व्रत रखा जाता है। आसमाई के विषय में मान्यता है कि इनकी प्रसन्नता से जीवन की हर आशा पूरी होती है। जो इस व्रत का पालन करता है। उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है और व्यक्ति की सभी आशा पूरी होती है। 

FAQs About Aasmai Ki Katha

Q1. आसमाई के व्रत में क्या खाना चाहिए?

आसमाई के व्रत में व्रती मीठा भोजन करती है। 

Q2. आसमाई के व्रत का महत्व क्या है?

आसमाई के व्रत का महत्व यह है कि जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है। उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है और उसकी सभी आशा पूरी होती है।

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